हनुमान सिंह राजपुरोहित ( संवाददाता जोधपुर)
साहित्य अकादमी के सहयोग से पुस्तक परणी या कंवारी का प्रकाशन
जोधपुर ग्रामीण ,बेलवा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सहयोग से राजस्थानी कवि, साहित्यकार मदनसिंह राठौड़ सोलंकिया तला द्वारा रचित राजस्थानी खंडकाव्य ‘परणी या कंवारी’ पुस्तक का प्रकाशन होगा। साहित्य अकादमी द्वारा पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग योजना अंतर्गत कवि राठौड़ की पुस्तक का चयन हुआ है। कवि राठौड़ की रचना में राजस्थान के इतिहास की उज्ज्वल नायिका अमरकोट की वीर नारी फूलमदे सोढी एवं लोकदेवता पाबूजी राठौड़ के विवाह प्रसंग को केंद्र बिंदू में रखकर खंडकाव्य- ‘परणी या कंवारी’ की रचना की गई है। अमरकोट में चंवरी में फेरे लेते समय जब प्रणवीर पाबूजी को देवल देवी चारणी के गायों के हरण की सूचना मिलती है तो वचनवीर पाबूजी आधे फेरों में गठजोडा़ काटकर गो रक्षा के लिए युद्ध में प्रस्थान कर जाते हैं।ऐतिहासिक पात्रों को मध्यनजर रखते हुए साहित्यिक भावभूमि पर आधारित इस खंडकाव्य में मध्यकालीन सांस्कृतिक परिवेश एवं नारी की सूक्ष्म मनोवैज्ञानिकता का सजीव वर्णन किया गया है। नारी के साहस, त्याग, तपस्या, धैर्य, ममता आदि गुणों को उजागर करते हुए कवि राठौड़ ने बेटी को भारत के भाग्य की विधाता बताया है। निर्मल भावों की अजस्र निर्झरणी इसमें अनवरत प्रवाहित हुई है। ‘शेरगढ के सूरमा’ सहित अन्य कालजयी कृतियों के लेखक कवि राठौड़ जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से स्नाकोतर राजस्थानी में गोल्ड मैडलिस्ट है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति के प्रतिपालक गौसेवक लोकदेवता पाबूजी पर प्रकाशित कवि राठौड़ की पुस्तक का राष्ट्रपति मैडल से सम्मानित भाषाविद् जेठूसिंह ईडर ने गुजराती भाषा में अनुवाद किया था