जयपुर माहे मुहर्रम में हर साल खुलता है जयपुर का सबसे पुराने इमाम बाड़ों में से एक चांदी की टकसाल स्थित गुदाज़ गरान इमामबाड़ा इस इमामबाड़े में कर्बला शरीफ इराक से लाई गई मिट्टी की बनाई हुई तस्बीह ही जिसमे वहां की ही तासीर है जो हर मुहर्रम की 9 तारीख को जिस दिन हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे ये तस्बीह लाल हो जाती है ये इमाम बाड़ा रियासत कालीन समय से है