मनोहरपुर,,पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए भले ही आरक्षण बढ़ा दिया हो, मगर हकीकत में अभी भी महिला जनप्रतिनिधि घर के कामकाज तक ही सिमटी हुई हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों को छोड़कर उनके पति, ससुर, पुत्र, जेठ ही उनके दायित्व निभा रहे हैं ग्राम पंचायतो में सरपंच चुनाव के बाद से ही जिन ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच विजयी हुई वहाँ ग्राम पंचायत का सारा काम-काज सरपंच पति, जेठ व रिश्तेदार ही संभाल रहें हैं महिला सरपंच तो घरेलू कामकाज कर रही है और पंचायत का कामकाज महिला सरपंच के परीजन करते आपने भी देखा होगा कैसे बुलंद हो महिला सशक्तीकरण का नारा आजादी के 75 साल बाद भी महिला सशक्तीकरण का नारा बुलंद नहीं हो पाया है। भले ही कुछ महिलाओं ने अपने दम पर मुकाम हासिल कर लिया हो, लेकिन अधिकांश जगह हालात आज भी नहीं बदले हैं यह कारण है कि महिला जनप्रतिनिधि होने के बाद भी ‘राज’ उनके पति, जेठ, ससुर या अन्य परिजन ही कर रहे हैं यहां तक कि पंचायतों में आने वाले अफसरों को भी वे अपना यहीं परिचय देते हैं फेसबुक पर भी सरपंच पति ही ‘सरपंच’ मनोहरपुर सरपंच सुनीता के पति श्याम सुंदर प्रजापति सोशियल मीडिया पर भी स्वयं को मनोहरपुर सरपंच मानते है मजे की बात तो ये है की इन्होंने अपने फेसबुक खाते पर भी मनोहरपुर सरपंच लिख रखा है लुखाछिपी में जेठ ओर पति करते है सरपंच के हस्ताक्षर मनोहरपुर सरपंच के हस्ताक्षर उनके जेठ व पति द्वारा सरपंच से सम्बंधित दस्तावेजात पर धड़ल्ले से हस्ताक्षर कर रहे है। इधर वीडीओ प्रवीण गजराज ने जाँच रिपोर्ट में भी लिखा था कि सरपंच के जेठ शंकर लाल द्वारा एनओसी सहित अन्य दस्तावेजात पर हस्ताक्षर करने से पंचायत कार्य मे परेशान होती है जांच रिपोर्ट भेजने के बाद भी नही हुई कार्रवाई वीडीओ प्रवीण गजराज ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं विकास अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को मनोहरपुर सरपंच के स्थान पर उनके जेठ के पंचायत कार्य मे हस्तक्षेप करने की जांच कर रिपोर्ट प्रेषित की थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नही होने से मिलीभगत की बू आ रही है एनएचआई की अवाप्त भूमि पर अतिक्रमण, प्रसाशन मौन सामाजिक कार्यकर्ता सम्पूर्णानंद शर्मा ने बताया कि पंचायत द्वारा एनएचआई की अवाप्त भूमि पर पंचायत द्वारा करीब 4.95 लाख रूपये की राजकीय राशि का दुरुपयोग करते हुए टेनशेड व सीसी ब्लॉक डालकर अतिक्रमण किया गया है। जिसको लेकर पंचायत परिसर में सांकेतिक धरना भी दिया गया था उसके बाद सहायक विकास अधिकारी राजेश कुमार शर्मा सहित अन्य की समझाइस पर सहमति बनने पर धरना समाप्त हुआ था, लेकिन अभी तक उच्च अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नही की गई है। जिससे कई लोगो मे रोष व्याप्त है यह है पंचायती राज एक्ट की धारा 38 पंचायतीराज कानून 1994 की धारा 38 में सरपंच को हटाने एवं निलंबन करने का प्रावधान है इसके लिए इस धारा में विस्तृत व्याख्या की गई है जिसके तहत सरकार यह कार्रवाई अमल में ला सकती है। इसके तहत दोषी जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है