राजस्थान हाईकोर्ट में आज शोक की लहर फैल गई जोधपुर में वरिष्ठ अधिवक्ता सुखदेव व्यास का न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में निधन हो गया श्री व्यास को कई हाई कोर्ट जजों ने वरिष्ठ अधिकता का दर्जा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा था और उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता के मनोनयन के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था लेकिन हाईकोर्ट की कमेटी ने उनका मनोनयन नहीं किया और तब से वे सदमे में थे उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि कई हाई कोर्ट जजों के कहने पर उन्होंने मनोनयन के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया प्रस्तुत किया था और उनका मनोनयन नहीं किया गया जबकि वे 1973 से राजस्थान हाईकोर्ट में वकालत कर रहे थे आज जयपुर में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मनोनयन में अनियमितताओं को लेकर 25 जनवरी से धरना दे रहे अधिवक्ताओं के पास जब सुखदेव व्यास के निधन का समाचार पहुंचा तो समस्त अधिवक्ता स्तब्ध रह गए और वरिष्ठ अधिवक्ता विमल चौधरी भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने व्यास जी का मनोनयन नहीं करके उनका अपमान किया और सदमे से उनकी मृत्यु हुई है हमने एक अनमोल हीरा को दिया है उनकी मौत की जिम्मेदार हाईकोर्ट की कमेटी है कल हाई कोर्ट में उनका रेफरेंस रहेगा राजस्थान हाई कोर्ट में परंपरा है कविता की मृत्यु पर शोक सभा आयोजित की जाती है अधिवक्ता विमल चौधरी ने भावुक होकर सार्वजनिक रूप से कहा कि हाईकोर्ट ने हमारा अपमान किया है इसलिए मेरी मृत्यु होने के पश्चात मेरे लिए शोक सभा आयोजित नहीं की जाए मरने के बाद हाईकोर्ट का सम्मान नहीं चाहिए उन्होंने कहा कि अब भी समय है हाई कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मनोनयन पर दोबारा विचार कर ले अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी ने कहा कि कई वरिष्ठ अधिवक्ता जिन का मनोनयन नहीं किया गया है वह सदमे में है इसलिए राजस्थान हाई कोर्ट को अति शीघ्र पुनर्विचार करना चाहिए भंडारी ने व्यथित होते हुए कहा हाई कोर्ट कितने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की बलि लेगा क्योंकि बहुत सारे अधिवक्ता 40 साल से 57 साल से हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं और उनकी हाईकोर्ट में प्रतिष्ठा है जनता भी उनका सम्मान करती है लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट की कमेटी ने उनका मनोनयन नहीं करके उनका अपमान किया है वरिष्ठ अधिवक्ताओं का धरना 71वें दिन भी धरना जारी रहा आज धरने पर विमल चौधरी, पूनम चंद भंडारी, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस गिल, रवि शंकर शर्मा, हिम्मत सिंह, अजीत सिंह लूनिया, सम्पत लाल सोनगरा, आई जे खतूरिया, हंसराज कुलदीप, हनुमान सहाय बैरवा, गोविंद, पूर्व जिला न्यायाधीश एन एल शर्मा, पंकज गुलाटी, एन सी शर्मा, आर ए शर्मा सहित सैकड़ों वरिष्ठ वकीलों ने तपती धूप में बिना टेंट – तंबू के धरना दिया वरिष्ठ वकीलों ने कहा वकीलों का अपमान नहीं सहेंगे हमें हमारे स्वास्थ्य की परवाह नहीं है अगर हाई कोर्ट जजों के दिल में हमारे प्रति दर्द नहीं है तो फिर हम हमारे स्वास्थ्य की परवाह क्यों करें हम संस्था में सुधार के लिए और वकीलों के मान सम्मान के लिए धरने पर बैठे हैं शांतिपूर्ण व गांधी वादी तरीके से आंदोलन करके संस्था की रक्षा करेंगे और लगातार आंदोलन जारी रखेंगे जब तक हाईकोर्ट के जजों का दिल नहीं पिघल जाता और संस्था में सुधार नहीं करते तब तक हम आंदोलन करेंगे अगर इस समय आंदोलन नहीं किया तो फिर आंदोलन कब होगा ? न्यायपालिका में सुधार की बहुत जरूरत है जजों की नियुक्ति में भी गाइडलाइंस तय होनी चाहिए और जो गाइडलाइंस वरिष्ठ वकीलों के लिए तय की गई है वही गाइडलाइंस नए जज बनाने के लिए होनी चाहिए उनसे भी आवेदन लेने चाहिए वकीलो में से जजों के लिए चयन करने के लिए प्रार्थना पत्र आमंत्रित करने चाहिए महिलाओं में से भी कम से कम 10 महिलाओं को जज बनाना चाहिए और जजों की नियुक्ति के लिए जो कॉलेजियम बनाया जाता है उसमें लोकल जजों का बहुमत होना चाहिए एससी एसटी और दलितों में से भी जज और वरिष्ठ वकील बनने चाहिए।