हरसहाय चौधरी (जमवारामगढ़ संवाददाता)

 

 

गठवाडी- तेजाजी महाराज का जन्म नागवंशी क्षत्रिय परिवार जाट जाति के ताहड़ जी गोत्र धोळ्या के घर भगवान शिव ने 11वां अवतार माह सुदी चौदस गुरुवार 29 जनवरी सन 1074 को लिया जिसका नाम घरवालों ने तेजा रखा उनका विवाह बाल्यावस्था में ही अजमेर के गांव पनहेर मैं झांझर गोत्र के रायमल जी की पुत्री पेमल से हुआ उन्होंने गायों की रक्षा के लिए सांझ गांव के चोरों से युद्ध कर गायों को छुड़ाया लेकिन उसमें बुरी तरह जख्मी हो गए फिर भी उन्होंने नागदेव को दिए अपने वचनों के अनुसार बांबी (नाग निवास) पर जाकर अपने आप को नाग नाग देवता को डसने के लिए प्रस्तुत कर दिया इसलिए उनका नाम सत्यवादी वीर तेजाजी पड़ा जिसके नाम से आज कलयुग में भी घर घर पूजा की जाती है
आज ही यह प्रथा चली आ रही है कि किसी जहरीले जानवर के काटने पर तेजाजी के नाम की तांती बांधने से शरीर का जहर उतर जाता है तेजाजी के नाम से जगह-जगह मंदिर बने हुए हैं जिसमें पुजारी को गोटिया कहते हैं गोटिया व गांव के लोग भादवा सुदी दोयज को तीर्थ स्थल पुष्कर से गाजे बाजे के साथ जोत लेकर आते हैं और 9 दिन का बान बैठाते है तेजा दशमी को तेजाजी का मेला भरता है जमवारामगढ़ के गठवाडी (जोहडे) मैं तेजाजी का मंदिर है जिसमें गुरु महाराज पांचू राम गुर्जर गोटिया हनुमान जाट, दल्ला राम, बंशीधर, योगेश बधाला, भेबला राम, छितरमल, सरदारमल जाट, छितरमल मीणा, रामेश्वर बराला, राम कुमार मीणा, जगदीश रूंडला, गिरधारी जाट, बाबूलाल जाट, रेवड़ जाट, जयराम मीणा, कल्याण मीणा, मूलचंद मित्तल, रामू कुशालका, भैरू राम जाट आदि गोटिया चौथमल तेजाजी गुडला, गणपत कालशदेव गुडला, कजोड़ मल हीरामल घुड़ला व ग्रामवासी किशन मीणा फूलचंद भामू सरपंच बाबूलाल मीणा जय राम जाट राजू मित्तल राजेंद्र जाट अन्य सैकड़ों महिला पुरुषों ने गाजे बाजे डीजे के साथ थिरकते नाचते गाते तेजाजी की जोत के साथ चलते हुए महाराज को बान बैठाया मेले के दिन हर घर में पकवान बनाकर महाराज के भोग लगाया जाता है 9 दिन तक चलने वाले महाराज के मेले मैं गाँवों से घूघरी आती है जिसका भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जाता है दसवीं को तेजाजी महाराज का मेला भरता है गायक कलाकारों द्वारा महाराज की जीवनी का मंचन किया जाता है मेले में दूरदराज के गांवों से हजारों लोग आते हैं और महाराज श्री का आशीर्वाद लेते हैं।