जयपुर,,मेरी आवाज ही पहचान है – लाल ईशक, मेरे सरकार आये है – छाप तिलक सब छीनी- चित्रांश बैंड के ढोलक, गिटार, तबला, कीबोर्ड, ड्रम, बांसुरी एवं अन्य वाद्य यंत्रों के माध्यम से सुरीली झंकार “SAMITASA” आध्यात्म, माधव, आविर्भव, सलोनी, अक्षा, ईशा ने संजय माथुर के संगीत निर्देशन में प्रस्तुत किया तो एक तरफ गायकों का निराला अंदाज 10 मिनट तक बेहतरीन संगतदार प्रस्तुति हुई और इसी के साथ आगाज हुआ मेरी आवाज ही पहचान है भाग 3 के 40 गायक कलाकारों की आवाजों की प्रस्तुतीकरण का चित्रांश आर्ट्स एंड कल्चर ग्रुप के कार्यक्रम निदेशक राकेश श्रीवास्तव ने बताया, 1953 के याद किया दिल ने कहां हो तुम से शुरू होकर कार्यक्रम का सफर 2013 के अलबेला सजन आयो रे और घाघरा जैसी ख्यातनाम रचनाओं तक चला कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती वसुधा सक्सेना, प्राचार्या राजस्थान संगीत संस्थान शिक्षा संकुल एवं श्री अवध बिहारी माथुर श्री संजय सक्सेना देहदानी गणेश नारायण माथुर, निशा पारीक, ब्रिगेडियर संदीप कुमार सिन्हा, संजय सक्सेना, डॉक्टर अनुरूप राय, बीपी सक्सेना एवं श्रीमती राज कंवर राठौङ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया एवं आध्यात्म जगधारी, आविर्भाव जगधारी द्वारा गणेश वंदना गई गई, मीरा सक्सेना एवं भार्गवी जगधारी द्वारा कथक एवं भरतनाट्यम की जुगलबंदी कर आराध्य का वंदन किया गया। कार्यक्रम में मनमोहक प्रस्तुतियां रहीं दीपेंद्र माथुर, कर्नल शैलेश जौहरी,  माधव, मनीष जौहरी, डॉ ज्योतिमा, तन्मय, पल्लवी सक्सेना, मंजरी श्रीवास्तव, गोविंद श्रीवास्तव, श्वेता माथुर, प्रीति कुलश्रेष्ठ, पवन कुलश्रेष्ठ, कविता सिन्हा, पूनम माथुर, भावना माथुर, आलोक रूप राय, विकास सक्सेना, अनिल भटनागर, पुलकित माथुर, विपुल एवं अन्य गायक कलाकारों द्वारा बोल हल्के हल्के, अलबेला सजन आयो रे, जुबी डूबी जुबी डूबी, कजरारे कजरारे, मेरा प्यार भी तू है, जलता है जिया मेरा, बादल यूं गरजता है, सात अजूबे इस दुनिया में, सावन आए ना आए, पहला नशा, हंसता हुआ नूरानी चेहरा एक से बढ़कर एक मनमोहक प्रस्तुति दी गई कार्यक्रम का संचालन सपना पाठक (सक्सेना) एवं संजय माथुर ने अपने निराले अंदाज में कर दर्शकों को खूब आनंदित किया। धन्यवाद ज्ञापन गोविंद स्वरूप माथुर ने किया