पवन छाबड़ा (संवाददाता अलवर)

अलवर – बाबू शोभाराम राजकीय कला महाविद्यालय के IQAC केंद्र और अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन प्राचार्य डॉ लवलीना व्यास की   अध्यक्षता में हुआ। परिचर्चा के मुख्य वक्ता अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ बिप्लव कुमार सिंह एवं विशिष्ट वक्ता डॉ अवधेश  त्रिपाठी रहे। इस अवसर पर डॉ बिप्लव कुमार सिंह ने कहा कि ज्यादातर गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री अंग्रेजी  में उपलब्ध है। इस समस्या का समाधान करने के लिए अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने क्षेत्रीय और मातृ भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए अनुवाद पहल की है। उन्होंने कहा कि अनुवाद के साथ मूल चिंतन और लेखन हिंदी भाषा में करने की जरूरत है। लेकिन इस प्रक्रिया में अनुवादक को पूर्वाग्रह से मुक्त रहना होगा विशिष्ट वक्ता डॉ अवधेश त्रिपाठी ने कहा कि हमारे पाठ्यक्रम ज्यादातर यूरोप केंद्रित हैं। इसलिए हमारी पहल है कि विद्यार्थी भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम की अवधारणाओ को समझें। उन्होंने कहा कि अनुवाद में अवधारणाओ को अपनी मातृ भाषा में स्पष्ट करना ही महत्त्वपूर्ण नहीं  है, बल्कि अनुवादक को विषय के प्रति ईमानदार होना होगा तथा किया गया अनुवाद विद्यार्थी को समझ में आने वाला भी होना चाहिए, सरसरी अनुवाद न हो प्राचार्य डॉ लवलीना व्यास ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि जिस भाषा में हम सोचते हैं, उसी भाषा में लेखन करेगें तो ज्यादा अच्छा लिख पाएंगेपरिचर्चा के प्रारंभ में  संयोजक डॉ सुरेंद्र वेदवान ने स्वागत भाषण देते हुए विषय प्रवर्तन किया। परिचर्चा का संचालन आयोजन सचिव डॉ महेश गोठवाल ने किया, जबकि धन्यवाद उद्बोधन डॉ रेणु मित्तल ने दिया इस परिचर्चा में डॉ यू ए फरूखी, डॉ नंदकिशोर मौर्य, डॉ कर्मवीर, डॉ मंजू यादव, डॉ पिंकी यादव, भरत मीणा, एन राजेंद्र सिंह, रण सिंह, डॉ मयंक गर्ग, डॉ सत्यभान यादव, डॉ आशीष शुक्ला, डॉ नरेंद्र मिश्रा, गोविंद सिंह मीणा, डॉ इंदिरा गुप्ता, सुधा सिंह, डॉ अशोक गुप्ता, प्रियंका यादव, नीतू जेवरिया, डॉ जाकिर हुसैन प्रहलाल मीणा, डॉ मीना अंबेश, डॉ गुलाब बाई, छुट्टन लाल मीणा  सहित महाविद्यालय के अनेक शिक्षकों ने सहभागिता की