दिल्ली,,लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव होकर नए अध्यक्ष निर्वाचित होना कांग्रेस पार्टी एवं श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही संभव है 1998 में जब श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला तब कांग्रेस की केंद्र में सरकार नहीं थी व राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी को तमाम चुनौतियां थीं। सोनिया जी के अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक समेत तमाम राज्यों में कांग्रेस जीती। 2004 और 2009 में भाजपा को हराकर केन्द्र में UPA की सरकार बनी श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद तक का त्याग किया एवं पार्टी को हमेशा परिवार की तरह चलाया। त्याग, स्नेह व अपनेपन की इस भावना के कारण ही सोनिया जी के नेतृत्व में पार्टी एकजुट हो गई व अनेकों दलों से गठबंधन कर यूपीए बना। जो लोग राजनीति में आने पर सोनिया जी के विरोधी थे वो सब उनके मुरीद बन गए आज श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना सभी कांग्रेसजनों के लिए एक भावुक पल है। श्रीमती सोनिया गांधी का मार्गदर्शन कांग्रेस पार्टी के लिए अमूल्य है एवं रहेगा