जयपुर नगर निगम हैरिटेज में दो साल बाद साधारण सभा बुलाई जा रही है दिलचस्प बात ये है कि बैठक मेयर के बजाए कमिश्नर के स्तर पर बुलाई जा रही है कमिश्नर विश्राम मीणा ने इसके लिए आज शहर के विधायकों को एक पत्र लिखकर बैठक बुलाने की अनुमति मांगी है 22 मार्च को प्रस्तावित इस बैठक को पार्षदों की ओर से दिए प्रस्ताव के बाद बुलाया जा रहा है अगर ये बैठक होती है तो इस बोर्ड की दूसरी बैठक होगी इससे पहले फरवरी 2021 में बोर्ड की पहली बैठक हुई थी नगर निगम कमिश्नर की ओर से विधायक प्रताप सिंह, महेश जोशी, अमीन कागजी, रफीक खान, सतीश पूनिया को पत्र लिखा गया है पिछले दिनों भाजपा के 35 से ज्यादा पार्षदों का साइन किया प्रस्ताव कमिश्नर को दिया था इसके बाद कमिश्नर ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए बैठक कॉल की है जाने क्या है बैठक बुलाने के नियम राजस्थान नगर पालिका की धारा 51 में नगर पालिका में साधारण सभा की बैठक 60 दिन में एक बार और एक साल में कम से कम 6 बार बुलाना जरूरी है अगर नगर पालिका के एक तिहाई पार्षद लिखित में प्रस्ताव देकर बैठक बुलाने की मांग करते है तो अध्यक्ष को सात दिन में बैठक बुलानी पड़ती है अगर नगर निगम का अध्यक्ष बैठक नहीं बुलाता है तो उस स्थिति में पार्षद नगर पालिका के अधिकारी (आयुक्त या सीईओ या अधिशाषी अधिकारी) को प्रस्ताव दे सकते है, जो 10 दिन में विचार करके बैठक बुला सकते है इसी नियमों के तहत ये बैठक बुलाई जा रही है मेयर-मंत्री में हो गया था विवाद पिछले दिनों मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बजट बैठक नहीं बुलाने और बिना विधायकों से पूछे बजट सीधे सरकार को भिजवाने पर विरोध जताया था उन्होंने मेयर पर निशाना साधते हुए कहा था कि वो होते कौन है बिना पूछे बजट सीधे सरकार को भेजने वाले। मिटिंग कॉल नहीं की और विधायकों से पूछा नहीं और अपनी मर्जी से मान लिया कि हम बैठक बुलाना नहीं चाहते। वहीं मेयर ने भी इस मामले पर बचाव करते हुए कहा था कि सरकार के नियमों के मुताबिक 15 फरवरी तक बैठक हो सकती थी और 28 फरवरी तक हर हाल में बजट सरकार को भिजवाना था, इसलिए भिजवा दिया बैठक के लिए हमने टेलीफोन पर सांसदों से जब बात की तो उन्होंने लोकसभा सत्र के बाद बैठक बुलाने के लिए कहा था